माँ... तेरी आरजू में निःशब्द हूँ मैं तेरी बंदगी में निःस्वार्थ हूँ मैं सजदा करूँ तो करूँ... माँ... तेरी आरजू में निःशब्द हूँ मैं तेरी बंदगी में निःस्वार्थ हूँ मैं ...
कल्याण जीवन धर्म मर्म मर्यादा महिमा मान संस्कृतियों का अपरिहार्य आवाज।। कल्याण जीवन धर्म मर्म मर्यादा महिमा मान संस्कृतियों का अपरिहार्य आवाज।।
हवा बनके तेरे सांस में घुल रही हूं मैं तुझमे थोड़ा थोड़ा पिघल रही हूं। हवा बनके तेरे सांस में घुल रही हूं मैं तुझमे थोड़ा थोड़ा पिघल रही हूं।
कोई आपको कब खास से, आम कर दे, पता नहीं होता, कोई आपको कब खास से, आम कर दे, पता नहीं होता,
जिसको हमने अपना समझा, उसने हमसे दगा किया। जिसको हमने अपना समझा, उसने हमसे दगा किया।
मायूस कभी हुआ नहीं मैं लड़ता था झगड़ता था तो बस अपने भीतर के शैतान से मायूस कभी हुआ नहीं मैं लड़ता था झगड़ता था तो बस अपने भीतर के शैतान से